मैं आज तक नहीं समझ पाया कि
लोगों को "ईश्वर" से शिकायत क्यों रहती हैं
उन्होने हमारे पेट भरने की जिम्मेदारी ली हैं ...
पेटियां भरने की नहीं...
जहाँ हमारा स्वार्थ समाप्त होता हे ....
वही से हमारी इंसानियत आरम्भ होती हे !!
मिलता तो बहुत कुछ है इस ज़िन्दगी में....
बस हम गिनती उसी की करते है
जो हासिल ना हो सका....
बचपन में देखा कि गर्मी ऊन में होती है। स्कूल में पता चला गर्मी जून में होती है। इधर पापा ने बताया कि गर्मी खून में होती है।
ज़िंदगी में बहुत धक्के खाये तब जाकर पता चला कि गर्मी ना तो खून में, ना जून में और ना ही ऊन में होती है, गर्मी तो जुनून में होती है!
आलपिन सारे कागज़ को
जोड़कर रखना
चाहती है
लेकिन वह हर कागज़ को
चुभती है
इसी प्रकार जो व्यक्ति
परिवार समाज व् देश
को जोड़कर रखना
चाहता है वह लोगो की
आँखों में चुभता है
उम्र कहती है अब संजीदा हुआ जाये...
मन कहता है कुछ नादानियां और कर लें...।
नन्हीं - नन्हीं बच्चियों को . . .
. . . . . चार किताबें पढने दो साहब . . .
क्योंकि की.....
कोख से बच आई हैं . . .
. . . . . दहेज से भी बच जायेगी
*कद्र करना सिख लो*
*न जिंदगी बार बार आती है न लोग
पत्नी के दिल में भी झाककर देखों
खोई हुई गर्ल फ्रेंड मिल जाएगी
.
कभी बेटे से दोस्ती करके देखों
जवानी फिर से दस्तक दे जाएगी
.
सबसे पहला दोस्त याद करके देखों
माँ की याद आ जाएगी
.
बुढे बाप से दो बाते कर के देखो
एक सुलझी दोस्ती घर में ही मिल जाएगी
.
क्युं दोस्तों में रिश्तें ढूंढते हो
रिश्तों में दोस्त ढूंढो, जिंदगी बन जाएगी...