इश्क़ है या दोस्ती पता नहीं लेकिन,
जो तुमसे है वो किसी और से नहीं ...
नींद हराम हो जाती है अधूरे इश्क़ के बाद,
किसी को भूल कर सो जाना इतना आसान नहीं होता ...
हम तारीफ के मोहताज़ तो नहीं,
लेकिन आप करो तो ऐतराज़ भी नहीं ...
ये मोहब्बत का गणित है यारों,
यहाँ दो में से एक गया तो कुछ नहीं बचता।
बस यही आदत उसकी अच्छी लगती है,
उदास कर के बोलती है कि नाराज़ तो नहीं हो ना।
आज देखी जो नब्ज़ मेरी तो हँस कर बोला हकीम,
जा दीदार कर ले उसका जो तेरे हर मर्ज की दवा है.
वो नकाब लगा कर खुद को इश्क से महफूज समझती रही,
नादान इतना नही समझी कि इश्क चेहरे से नही नजरों से शुरू होता है..!!
जरा देखो तो दरवाजे पे दस्तक कोन दे रहा है ?
महोब्बत हो तो कह देना यहाँ अब हम नहीं रहते ।।
आशिकों ने ही दिया है तुझको ये मुकाम गज़ब का,
वरना ऐ इश्क.. तेरी दो कौड़ी की औकात नहीं.