आज देखी जो नब्ज़ मेरी तो हँस कर बोला हकीम,
जा दीदार कर ले उसका जो तेरे हर मर्ज की दवा है.
वो नकाब लगा कर खुद को इश्क से महफूज समझती रही,
नादान इतना नही समझी कि इश्क चेहरे से नही नजरों से शुरू होता है..!!
जब मेरी नब्ज देखी हकीम ने तो ये कहा,
कोई जिन्दा है इस में, मगर ये मर चुका है
जरा देखो तो दरवाजे पे दस्तक कोन दे रहा है ?
महोब्बत हो तो कह देना यहाँ अब हम नहीं रहते ।।
आशिकों ने ही दिया है तुझको ये मुकाम गज़ब का,
वरना ऐ इश्क.. तेरी दो कौड़ी की औकात नहीं.
निग़ाह उट्ठे तो सुबह हो, झुके तो शाम हो जाए
अगर तू मुस्कुरा भर दे तो क़त्लेआम हो जाए
ज़रूरत ही नहीं तुमको मेरी बाँहों में आने की
जो ख्वाबों में ही आ जाओ तो अपना काम हो जाए।
हम अकेले नही है शामिल इस जुर्म में,
जब नजरे मिली थी तो मुस्कुराये तुम भी थे।
कुछ बातें हमसे सुना करो,
कुछ बातें हमसे किया करो..
मुझे दिल की बात बता डालो,
तुम होंठ ना अपने सिया करो..
जो बात लबों तक ना आऐ,
वो आँखों से कह दिया करो..
कुछ बातें कहना मुश्किल हैं,
तुम चहरे से पढ़ लिया करो..
जब तनहा तनहा होते हो,
आवाज मुझे तुम दिया करो…
जाते हुए उसने सिर्फ इतना कहा था मुझसे,
अपनी ज़िंदगी जी लेना, वैसे प्यार अच्छा करते हो.