मत समझ के कुछ नही है पास मेरे तुझे देने को...
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पेशे से शायर हूँ नाम तेरे कुछ तो लिख ही जाऊगा
अपनी मंज़िल पे पहुँचना भी खड़े रहना भी
कितना मुश्किल है बड़े हो के बड़े रहना भी
Fikar to teri aaj bhi karte hai,
Bas zikar karne ka haq nahi raha....
कब तक वो मेरा होने से इंकार करेगा ख़ुद टूट कर वो इक़ दिन मुझसे प्यार करेगा इश्क़ की आग में उसको इतना जला देंगे कि इज़हार वो मुझसे सर-ए-बाज़ार करेगा
ना तेरे आने की खुशी ना तेरे जाने का गम वो जमाने बीत गये जब तेरे आशिक थे हम..
Dhundoge Kahan Mujhko Lo Mera Pta Lelo,
Ek Qabar Nayi Hogi Ek Jalta Hua Diya Hoga....
Jaroori ye nahi ki her jang ko bas jeeta hee jaye...
Lazmi ye hai ki her haar se kuch seekha bhee jaye...
बस यही सोचकर शिकवा ना किया मैंने...
कि अपनी जगह हर इंसान सही हुआ करता है...!!
वो आये हमारी कब्र पर दिया बुझा के चले गये
दिये मे जितना तेल था सर पर लगा कर चले गये