क्यों करते हो हर किसी पर ऐतबार इस ज़माने में,
ये मिलते किसी और से हैं और होते किसी और के हैं।
इश्क़ है या दोस्ती पता नहीं लेकिन,
जो तुमसे है वो किसी और से नहीं ...
मुफलिसी ही कराती है लोगो की पहचान,
ओहदा अच्छा हो तो सब तलवे चाटते है...
सबकुछ एक साजिश के तहत हुआ था,
उसकी मौत फिसलने से नहीं, किसी खास के धक्के से हुई थी।
हम तारीफ के मोहताज़ तो नहीं,
लेकिन आप करो तो ऐतराज़ भी नहीं ...
ये मोहब्बत का गणित है यारों,
यहाँ दो में से एक गया तो कुछ नहीं बचता।
शहर जालिमो का है संभल के चलना मेरे दोस्त
लोग दिल निकाल लेते है यहाँ सीने से लगा के
बस यही आदत उसकी अच्छी लगती है,
उदास कर के बोलती है कि नाराज़ तो नहीं हो ना।